रावण ऋषि विश्रवा और कैकसी का पुत्र था। जन्म के समय उसकी शर्रीरिक बनावट अत्यंत विकराल थी, उसके दस मस्तक, बड़ी बड़ी दाढ़ें, तांबे जैसे होंठ, बीस भुजाएं, विशाल मुख […]Read more
श्री राम शरणम् समस्तजगतां, राम विना का गति। रामेण प्रतिहन्ते कलिमलं, रामाय कार्यं नम:। रामात त्रस्यति कालभीमभुजगो, रामस्य सर्वं वशे । रामे भक्ति खण्डिता भवतु में, राम त्वमेवाश्रय ।। श्री […]Read more
श्रीमदवाल्मीकि रामायण के उत्तर कांड में वर्णित शम्बूक वध प्रसंग का सर्वाधिक राजनीतिकरण किया गया है। विभिन्न राजनेताओं और सम्प्रदायों ने समय समय पर हिन्दू धर्म को विभाजित करने तथा […]Read more
यह विवादित प्रश्न सदैव अधर्मियों, विधर्मियों तथा कुधर्मियों द्वारा श्री राम की निंदा करने तथा हिन्दू धर्म पर आघात पहुँचने के लिए किया जाता है। ज्ञान के अभाव में उनको […]Read more
सर्वप्रथम हमारे बंधु श्री अमरीश तिवारी जी का धन्यवाद जिन्होंने अति उत्तम, रोचक और ज्ञानवर्धक सवाल पूछा। इसका उत्तर तथा वर्णन पद्मपुराण में इस प्रकार मिलता है : धर्म के […]Read more
जो मनुष्य अपने पापों का क्षय करके इस संसार सागर से पार जाना चाहते हैं उन्हें तमोगुणीऔर रजोगुणी भूपतियों की उपासना ना करके सत्वगुणी श्री भगवान और उनके उनके अंश […]Read more
गीता पूर्ण ज्ञानकी गङ्गा है, गीता अमृतरस की ओजस धारा है। गीता इस दुष्कर संसार सागर से पार उतरनेके लिये अमोघ तरणी है। गीता भावुक भक्तों के लिये गम्भीर तरङ्गमय […]Read more
ब्रह्माजी जी भगवान नारायण की स्तुति के पश्च्यात उनसे उनके सगुण एवं निर्गुण रूपों तथा उनके मर्म को जानने का ज्ञान देने को कहा। श्री भगवान् ने भागवत – तत्त्व […]Read more
यह एक विवादित प्रश्न है जिसके बारे में ज्ञान का सर्वथा अभाव पिछले कुछ वर्षो तक था। वर्तमान काल में समाज में कुछ ज्ञान प्रचारित हुआ है। परंतु उसके स्रोत […]Read more
हमारे बंधु श्री राजन जौहर जी को साधुवाद जिन्होने अति महत्वपूर्ण सवाल पूछा: भक्ति और भक्तों के प्रसंग में ना चाहते हुए भी यह कहना पड़ता है की अपने वर्ग […]Read more