अक्षर ब्रह्म – पर ब्रह्म – परमात्मा सनातन धर्म में ‘ब्रह्म’ की अवधारणा उस परमसत्ता के रूप में है, जो सर्वातिशायी, सर्वसमर्थ, सर्वत्र विद्यमान रहने वाली सर्वोच्च शक्ति है। ब्रह्म […]Read more
श्री परम पिता परमात्मा का दिव्या पुरुष रूप जिसे श्री नारायण कहते हैं अनेक अवतारों का अक्षय कोष हैं । इन्ही से सारे अवतार प्रकट होते हैं। जैसे अगाध सरोवर […]Read more
सृष्टि के आरम्भ में श्री भगवान ने देखा की सम्पूर्ण विश्व जल, वायु, तेज़ आदि तत्वों से विहीन है। जगत को इस शून्यावस्था मैं देख कर भगवान ने स्वेच्छा से […]Read more
श्री भगवान सारे जगत की उत्पत्ति का आधार हैं। वह ही जगत के ईश्वर अर्थात जगदीश्वर हैं। उनको विभिन्न नामों विष्णु, शिव, ब्रह्मा और अनेक देवी देवताओं के नाम से […]Read more
सृष्टि के आरम्भ में श्री भगवान ने देखा की सम्पूर्ण विश्व जल, वायु, तेज़ आदि तत्वों से विहीन है। जगत को इस शून्यावस्था मैं देख कर भगवान ने स्वेच्छा से […]Read more
श्री भगवान सारे जगत की उत्पत्ति का आधार हैं। वह ही जगत के ईश्वर अर्थात जगदीश्वर हैं। उनको विभिन्न नामों विष्णु, शिव, ब्रह्मा और अनेक देवी देवताओं के नाम से […]Read more