संतान के जन्म के छठे, इक्कीसवें दिन तथा अन्नप्राशन के समय षष्ठी देवी की पूजा करने का विधान है। देवी षष्ठी बालकों की अधिष्ठात्री देवी हैं। मूल प्रकृति के छठे […]Read more
दक्षिणा यज्ञ की भार्या हैं। जैसे अग्नि की भार्या स्वाहा हैं (इसीलिए मंत्रौच्चार के बाद अग्नि को आहुति देते समय ‘स्वाहा’ का उच्चारण उनका आह्वान करने के लिए किया जाता […]Read more
व्रती को चाहिए की स्नान के पश्च्यात धुले हुए वस्त्र धारण करके आसान पर बैठे आचमन करके स्वस्तिवाचन पूर्वक कलश की स्थापना करे। कलश पर परमेश्वर श्री श्रीकृष्ण का आह्वाहन […]Read more