अत्यंत दुःख का विषय है की आजकल शास्त्र विहीन देश के नेता कहलाने वाले कुछ लोग केवल अपनी संकीर्ण मानसिकता और स्वार्थ सिद्धि के कारण हिन्दुओं पर सांप्रदायिक होने या […]Read more
समस्त सनातन धर्मियों के गृह में प्रातः और सांय काल में दीप प्रज्वल्लित करने की प्रथा है। किसी भी मांगलिक कार्य का शुभारम्भ भी द्वीप प्रज्वल्लित करके ही किया जाता […]Read more
हिन्दू सनातन धर्म में विवाह संस्कार सर्वोपरि महत्व का है। विवाह के उपरान्त ही ब्रह्मचर्य आश्रम की पूर्णता होती है तथा गृहस्थ आश्रम में प्रवेश होता है। मनुष्य की आयु […]Read more
मनुस्मृति में कहा गया है : संपराप्ताय त्वतीथये प्र्द्द्यादासनोदके। अन्न चैव यथाशक्ति सत्कृत्य विधिपूर्वकम।। (आए हुए अतिथि का आसान, जल और अन्न से यथा शक्ति सत्कार करना चाहिए) श्री विष्णुपुराण […]Read more
संतान के जन्म के छठे, इक्कीसवें दिन तथा अन्नप्राशन के समय षष्ठी देवी की पूजा करने का विधान है। देवी षष्ठी बालकों की अधिष्ठात्री देवी हैं। मूल प्रकृति के छठे […]Read more
दक्षिणा यज्ञ की भार्या हैं। जैसे अग्नि की भार्या स्वाहा हैं (इसीलिए मंत्रौच्चार के बाद अग्नि को आहुति देते समय ‘स्वाहा’ का उच्चारण उनका आह्वान करने के लिए किया जाता […]Read more
हिन्दू धर्म में सभी प्राणियों में ईश्वर का सूक्ष्म अंश आत्मा के रूप में माना गया है जिनके जनक स्वयं श्री भगवानहैं परंतु हिन्दू धर्म पपियोंके विनाश के लिए हिंसा […]Read more
श्राद्ध कर्म – भाग २ श्राद्ध में काल का विचार क्यों किया जाता है तथा श्राद्ध केवल कृष्ण पक्ष अमावस्या में ही क्यों होते हैं श्राद्ध कर्म में ब्राह्मण द्वारा […]Read more
श्राद्ध तर्पण के विषय में भी अनेकों भ्रांतियां विद्यमान है। इस विषय में निम्न प्रश्नो के द्वारा यह प्रमाणित करने का प्रयास किया गया है की श्राद्ध अत्यंत निंदनीय कृत्य […]Read more
विभिन्न पुराणों में अलग अलग देवता को सर्वोपरि बताने का क्या कारण है? क्या इसका कारण एक इष्ट देव को दूसरे से श्रेष्ठ या निम्न दिखाना है? इस प्रश्न […]Read more