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दशग्रीव का नाम ‘रावण’ कैसे पड़ा ? रावण ने शिव तांडव स्त्रोत्र की रचना कब और क्यों की ?

रावण ऋषि विश्रवा और कैकसी का पुत्र था। जन्म के समय उसकी शर्रीरिक बनावट अत्यंत विकराल थी, उसके दस मस्तक, बड़ी बड़ी दाढ़ें, तांबे जैसे होंठ, बीस भुजाएं, विशाल मुख […]
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जय श्री राम

श्री राम शरणम् समस्तजगतां, राम विना का गति। रामेण प्रतिहन्ते कलिमलं, रामाय कार्यं नम:। रामात त्रस्यति कालभीमभुजगो, रामस्य सर्वं वशे । रामे भक्ति खण्डिता भवतु में, राम त्वमेवाश्रय ।। श्री […]
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श्रीमदवाल्मीकि रामायण में शम्बूक वध प्रसंग तथा सनातन धर्म और प्रभु श्री राम की निंदा के लिए इसका राजनीतिकरण

श्रीमदवाल्मीकि रामायण के उत्तर कांड में वर्णित शम्बूक वध प्रसंग का सर्वाधिक राजनीतिकरण किया गया है। विभिन्न राजनेताओं और सम्प्रदायों ने समय समय पर हिन्दू धर्म को विभाजित करने तथा […]
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श्री राम यदि स्वयं श्री विष्णु भगवान के अवतार थे और आदि अनन्त सबके ज्ञाता थे तो उन्होंने लंका विजय के पश्चात सीता जी की अग्नि परीक्षा क्यों करवाई? प्रभु श्री राम को रावण का वध करने के लिए सीता का हरण करवाने की क्या आवश्यकता थी ?

यह विवादित प्रश्न सदैव अधर्मियों, विधर्मियों तथा कुधर्मियों द्वारा श्री राम की निंदा करने तथा हिन्दू धर्म पर आघात पहुँचने के लिए किया जाता है। ज्ञान के अभाव में उनको […]
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यदि श्री राम सेतु स्वयं भगवान राम ने बनवाया था और समुद्र देवता ने उसको बनवाने में सहयोग दिया था तो वह खंडित कैसे हो गया? Google map पर भी राम सेतु खंडित नज़र आता है। स्वयं सृष्टि के पालनहार द्वारा बनवाया हुआ पुल कैसे टूट सकता है?

सर्वप्रथम हमारे बंधु श्री अमरीश तिवारी जी का धन्यवाद जिन्होंने अति उत्तम, रोचक और ज्ञानवर्धक सवाल पूछा। इसका उत्तर तथा वर्णन पद्मपुराण में इस प्रकार मिलता है : धर्म के […]
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प्रभु नाम जप का क्या फल है ? क्या किसी विशेष भगवान या सहस्त्र नाम के जप से ही उचित फल मिलता है? क्या संकीर्तन केवल मंडली में या ऊँची आवाज़ में ही सफल होता है ? क्या प्रभु नाम का जप केवल १०८ मनके की माला के साथ ही किया जाना चाहिए?

जो मनुष्य अपने पापों का क्षय करके इस संसार सागर से पार जाना चाहते हैं उन्हें तमोगुणीऔर रजोगुणी भूपतियों की उपासना ना करके सत्वगुणी श्री भगवान और उनके उनके अंश […]
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श्रीमदभागवत गीता को सम्पूर्ण ग्रन्थ क्यों कहा जाता है ?

 गीता पूर्ण ज्ञानकी गङ्गा है, गीता अमृतरस की ओजस धारा है। गीता इस दुष्कर संसार सागर से पार उतरनेके लिये अमोघ तरणी है। गीता भावुक भक्तों के लिये गम्भीर तरङ्गमय […]
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चतु:श्लोकी भागवत

ब्रह्माजी जी भगवान नारायण की स्तुति के पश्च्यात उनसे उनके सगुण एवं निर्गुण रूपों तथा उनके मर्म को जानने का ज्ञान देने को कहा। श्री भगवान् ने भागवत – तत्त्व […]
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हिन्दू धर्म में कितने देवता हैं ? 33 प्रकार के, 33 करोड़, 33,33,333 या फिर 33,333? इन सब गणनाओं का स्रोत क्या है?

यह एक विवादित प्रश्न है जिसके बारे में ज्ञान का सर्वथा अभाव पिछले कुछ वर्षो तक था। वर्तमान काल में समाज में कुछ ज्ञान प्रचारित हुआ है। परंतु उसके स्रोत […]
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क्या हिंदू धर्म भगवान शिव और विष्णु में भेद करता है? क्या शैव और वैष्णव हिंदू होते हुए भी अलग अलग संप्रदाय हैं?

हमारे बंधु श्री राजन जौहर जी को साधुवाद जिन्होने अति महत्वपूर्ण सवाल पूछा: भक्ति और भक्तों के प्रसंग में ना चाहते हुए भी यह कहना पड़ता है की अपने वर्ग […]
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