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शिव जी

दशग्रीव का नाम ‘रावण’ कैसे पड़ा ? रावण ने शिव तांडव स्त्रोत्र की रचना कब और क्यों की ?

रावण ऋषि विश्रवा और कैकसी का पुत्र था। जन्म के समय उसकी शर्रीरिक बनावट अत्यंत विकराल थी, उसके दस मस्तक, बड़ी बड़ी दाढ़ें, तांबे जैसे होंठ, बीस भुजाएं, विशाल मुख […]
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शिवालय रहस्य – शिव मंदिर में स्तिथ – नंदी जी , कूर्म, गणेश जी, हनुमान जी, बिल्व पत्र, जलधारा की महत्वता

भगवान् शिव के मंदिर भारतवर्ष के प्राय: प्रत्येक गाँव, शहर या ये कहें की प्रत्येक मार्ग पर पाए जातें हैं तो अतिशोय्क्ति नहीं होगी। प्रत्येक शिव मंदिर में नंदी, कूर्म, […]
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भगवान् शिव कौन हैं ?

शेते तिष्ठति सर्वं जगत यास्मिन स: शिव:शम्भु: विकाररहित:। जिसमे सारा संसार शयन करता है, जो विकार रहित हैं वह शिव हैं, जो अमङ्गल का ह्रास करते हैं, वे ही सुखमय […]
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श्री शिव पञ्चाक्षरस्तोत्रम

ॐ नम: शिवाय नागेन्द्राहाय त्रिलोचनाय भस्माङ्गरागाय महेश्वराय। a नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय तस्मै ‘न’ काराय नम: शिवाय।१। जिसके कंठ में सर्पों का हार है, जिनके तीन नेत्र है, भस्म ही जिनका […]
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पार्वती जी का नाम उमा कैसे पड़ा? पूजा के समय फूलों के साथ अशोक वृक्ष की पत्तियों का उपयोग पूजा के लिए या बंधनहार के रूप में क्यों किया जाता है?

कश्यप ऋषि के कहने पर गिरिराज हिमालय ने ब्रह्मा जी की करोर तपस्या की। तपस्या से प्रसन्न हो कर ब्रह्मा जी ने गिरिराज हिमालय को दर्शन दे कर उनसे वर […]
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भगवान शिवजी को ‘पशुपति’ और ‘त्रिपुरारि’ क्यों कहा जाता है?

जब शिवनंदन श्री कार्तिकेय स्वामी जिन्हें स्कन्द भी कहा जाता है ने तारकासुर का वध कर दिया तो उसके तीनों पुत्र तारकाक्ष, विद्युनमालि और कमलाकाक्ष ने उत्तम भोगों का परित्याग […]
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शिवलिंग क्या है? शिवजी की पूजा मूर्ति और लिंग रूप में क्यों होती है?

लिंग शब्द का अर्थ है चिन्ह, प्रतीक। भगवान शिव क्योंकि परमपिता परमात्मा के अंश है और स्वयं ब्रह्मस्वरूप हैं इसीलिए निष्काम (निराकार) कहे गए हैं। इसी प्रकार से रूपवान होने […]
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हिन्दू धर्म में कितने देवता हैं ? 33 प्रकार के, 33 करोड़, 33,33,333 या फिर 33,333? इन सब गणनाओं का स्रोत क्या है?

यह एक विवादित प्रश्न है जिसके बारे में ज्ञान का सर्वथा अभाव पिछले कुछ वर्षो तक था। वर्तमान काल में समाज में कुछ ज्ञान प्रचारित हुआ है। परंतु उसके स्रोत […]
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