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गंगा जी की की उत्पत्ति कैसे हुई? क्या दक्षिण दिशा में बहने वाली गोदावरी भी गंगा का ही एक रूप या अंश है? अंतिम संस्कार के समय मनुष्य की अस्थियों को उत्तर भारत में गंगा या दक्षिण भारत में गोदावरी में प्रवाहित करने की प्रथा क्यों है?

देवी गंगा जी की उत्पत्ति के विषय में अनेक पौराणिक कथाएं एवं किवदंतियां प्रचलित है। सर्वाधिक प्रचलित कथा श्रीमद वाल्मीकि रामायण में वर्णित है, जिसे महर्षि विश्वामित्र ने श्री राम […]
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सनातन धर्म में काल विभागों तथा चतुर्युगों का विभाजन

पृथ्वी आदि कार्यवर्ग का जो सूक्षतम अंश है जिसका और विभाग नहीं हो सकता तथा जो कार्यरूप को प्राप्त नहीं हुआ है उसे ‘परमाणु’ कहते हैं। दो परमाणु मिलने से […]
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त्रिलोक क्या हैं ? हिन्दू शास्त्रों में तीनों लोकों की क्या व्याख्या या मान्यता है?

हमारे बंधु श्री राजे त्यागी जी ने एक सूक्ष्म एवं महत्वपूर्ण विषय उठाया। जिसके विषय में समाज में ज्ञान का सर्वथा अभाव है: हमें बताया जाता है की लोक तीन […]
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हिन्दू धर्म में काल विभागों तथा चतुर्युगों का विभाजन

पृथ्वी आदि कार्यवर्ग का जो सूक्षतम अंश है जिसका और विभाग नहीं हो सकता तथा जो कार्यरूप को प्राप्त नहीं हुआ है उसे ‘परमाणु’ कहते हैं। दो परमाणु मिलने से […]
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आधुनिक विज्ञान और सनातनधर्म

लेख के प्रारम्भ में हम स्पष्ट करना चाहते है हैं कि लेख का उद्देश्य किसी व्यक्ति विशेष अथवा समुदाय की भावनाओं को आहत करना नाही है। ना ही हमारा उद्देश्य […]
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षडलिंगस्वरूप प्रणव, सूक्ष्म रूप ॐकार और स्थूल रूप पंचाक्षर मन्त्र का माहात्म्य

प्रणव का अभिप्राय उस ॐकार रुपी सेतु से है जो मनुष्य को भवसागर से पार करता है। प्र नाम है प्रकृति से उत्पन्न संसार रुपी महासागर का। प्रणव इसे पार […]
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ॐकार का क्या महत्व है ? ॐकार जप का क्या लाभ है?

जिन अव्यक्त, निर्गुण, निराकार श्री भगवान, जिनके सब ओर चरण, मस्तक और कंठ हैं, जो इस विश्व के स्वामी तथा विश्व को उत्पन्न करने वाले हैं, उन विश्वरूप परमात्मा का […]
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गृहस्थ आश्रम में सुखी रहने का क्या उपाय है? ॐ का उच्चारण क्यों किया जाता है ?

इस संसार में केवल दो ही प्रकार ले लोग सुखी हैं – या तो वो जो अत्यंत अज्ञान ग्रस्त हैं या वो जो बुद्धि आदि से अनंत श्री भगवान को […]
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परमपिता परमात्मा द्वारा देवताओं की उत्पत्ति

सृष्टि के आरम्भ में श्री भगवान ने देखा की सम्पूर्ण विश्व जल, वायु, तेज़ आदि तत्वों से विहीन है। जगत को इस शून्यावस्था मैं देख कर भगवान ने स्वेच्छा से […]
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क्या हिन्दू धर्म हिंसा में विश्वास रखता है?

हिन्दू धर्म में सभी प्राणियों में ईश्वर का सूक्ष्म अंश आत्मा के रूप में माना गया है जिनके जनक स्वयं श्री भगवानहैं परंतु हिन्दू धर्म पपियोंके विनाश के लिए हिंसा […]
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