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धर्म और अधर्म के क्या लक्षण हैं? अधर्म पर किस प्रकार विजय पायी जा सकती है?

शास्त्रों में धर्म के तीस लक्षण कहे गए हैं। इन लक्षणो का विचार तथा आचरण सभी मनुष्यों का परम धर्म है । इनके पालन से सर्वात्मा श्रीभगवान प्रसन्न रहते है […]
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नित्य एवं नैमित्तिक देवताओं में क्या अंतर है ?

सनातन धर्म शास्त्रों में नित्य देवता ओर नैमित्तिक देवता दो प्रकार के देवता कहे गये हैं।   नित्य देवता वे हैं, कि जिनका पद नित्य स्थायी है। वसुपद, रुद्रपद, आदित्यपद, […]
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हिन्दू धर्म में कितने देवता हैं ? 33 प्रकार के, 33 करोड़, 33,33,333 या फिर 33,333? इन सब गणनाओं का स्रोत क्या है?

यह एक विवादित प्रश्न है जिसके बारे में ज्ञान का सर्वथा अभाव पिछले कुछ वर्षो तक था। वर्तमान काल में समाज में कुछ ज्ञान प्रचारित हुआ है। परंतु उसके स्रोत […]
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क्या हिंदू धर्म भगवान शिव और विष्णु में भेद करता है? क्या शैव और वैष्णव हिंदू होते हुए भी अलग अलग संप्रदाय हैं?

हमारे बंधु श्री राजन जौहर जी को साधुवाद जिन्होने अति महत्वपूर्ण सवाल पूछा: भक्ति और भक्तों के प्रसंग में ना चाहते हुए भी यह कहना पड़ता है की अपने वर्ग […]
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कीलक स्तोत्र का महत्त्व । क्या कीलक स्तोत्र का पाठ हानिकारक हो सकता है ?

श्री दुर्गा सप्तशती के पाठ में अर्गला स्तोत्र के उपरान्त ‘कीलक”स्तोत्र का पाठ किया जाता है। कीलक स्त्रोत्र के विषय में अनेको भ्रांतियां समाज में उपस्थित हैं। प्राय: यह कह […]
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ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे – महामंत्र का अर्थ

इस मन्त्र को नवार्ण मंत्र भी कहा जाता है जो देवी भक्तों में सबसे प्रशस्त मंत्र माना गया है। इस मन्त्र के जाप से महासरस्वती, महाकाली तथा महालक्ष्मी माता की […]
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जय माता दी

जगन्मार्तातस्तव चरण सेवा न रचिता न वा दत्तं देवि द्रविणमपि भूयस्तव मया। तथापि त्वं स्नेहं मयि निरुपमं यत्प्रकुरुषे कुपुत्रो जायेत क्वचिदपि कुमाता न भवति॥ हे जगदम्बा माता ! मैंने आपके […]
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श्री दुर्गा माता – दुर्गनाशन स्तोत्र

श्री कृष्ण कृत त्वमेव सर्वजननी मूलप्रकृतिरीश्वरी । त्वमेवाद्या सृष्टिविधौ स्वेच्छया त्रिगुणात्मिका ।। हे देवी ! आप ही सबकी जननी, मूल-प्रकृति ईश्वरी हो, आप ही सृष्टि की उत्पत्ति के समय आद्याशक्ति […]
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श्री दुर्गा सप्तश्लोकी

1. ज्ञानिनामपि चेतांसि देवि भगवती हि सा । बलादाकृष्य मोहाय महामाया प्रयच्छति ॥1॥ वे भगवती महामाया देवी ज्ञानियों के भी चित्त को बलपूर्वक खींचकर मोह में डाल देती हैं । […]
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सनातन धर्म में नवरात्रों की समाप्ति पर ९ कन्याओं का पूजन क्यों किया जाता है ?

सनातन धर्म में वर्ष में दो बार – शरत काल तथा वसंत काल के नवरात्रों में माता जगदम्बा की पूजा का विधान है। वसंत तथा शरत दोनों ही ऋतुएं मनुष्य […]
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