वैदिक तत्वों को स्मरण करके पूज्य महर्षियों ने मानव कल्याण के लिए जिन ग्रन्थों की रचना की उन्हें स्मृतिशास्त्र कहते हैं। विभिन्न कल्पों में जिस प्रकार वेदों की संख्या विभिन्न […]Read more
आध्यात्म उन्नति के सात क्रम हैं उन्ही सात कर्मो के अनुसार वैदिक धर्म शास्त्रों को भी पूज्य महर्षियों ने सात श्रेणियों में ही विभक्त किया है। यह सातों दर्शन तीन […]Read more
जिस प्रकार लौकिक पुरुषार्थयुक्त योग, साधनयुक्त उपासना और वैदिक कर्म परम्परा रूप से मुक्तिपद की प्राप्ति में सहायक होते हैं, जिस प्रकार धर्म, अर्थ और काम ये तीन परम्परा रूप […]Read more
वेदों में वर्णित अर्थ को बिना किसी सहायता के समझना अत्यंत कठिन कार्य है। जिस प्रकार साधारण व्याकरण एवं काव्य कोष आदि का पाठ करने से ही किसी भाषा के […]Read more
वेदों की भाषा वेदों के भाग वेदों का विभाजन और वेदों की शाखाएँ वेदों का संक्षिप्त वर्णन वेदों की भाषा वेदों की भाषा भी साधारण संस्कृत होते हुए […]Read more
अत्यंत दुःख का विषय है की आजकल शास्त्र विहीन देश के नेता कहलाने वाले कुछ लोग केवल अपनी संकीर्ण मानसिकता और स्वार्थ सिद्धि के कारण हिन्दुओं पर सांप्रदायिक होने या […]Read more
समस्त सनातन धर्मियों के गृह में प्रातः और सांय काल में दीप प्रज्वल्लित करने की प्रथा है। किसी भी मांगलिक कार्य का शुभारम्भ भी द्वीप प्रज्वल्लित करके ही किया जाता […]Read more
हिन्दू सनातन धर्म में विवाह संस्कार सर्वोपरि महत्व का है। विवाह के उपरान्त ही ब्रह्मचर्य आश्रम की पूर्णता होती है तथा गृहस्थ आश्रम में प्रवेश होता है। मनुष्य की आयु […]Read more
मनुस्मृति में कहा गया है : संपराप्ताय त्वतीथये प्र्द्द्यादासनोदके। अन्न चैव यथाशक्ति सत्कृत्य विधिपूर्वकम।। (आए हुए अतिथि का आसान, जल और अन्न से यथा शक्ति सत्कार करना चाहिए) श्री विष्णुपुराण […]Read more