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स्मृति शास्त्र

वैदिक तत्वों को स्मरण करके पूज्य महर्षियों ने मानव कल्याण के लिए जिन ग्रन्थों की रचना की उन्हें स्मृतिशास्त्र कहते हैं। विभिन्न कल्पों में जिस प्रकार वेदों की संख्या विभिन्न […]
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दर्शन शास्त्र

आध्यात्म उन्नति के सात क्रम हैं उन्ही सात कर्मो के अनुसार वैदिक धर्म शास्त्रों को भी पूज्य महर्षियों ने सात श्रेणियों में ही विभक्त किया है। यह सातों दर्शन तीन […]
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उपवेद

जिस प्रकार लौकिक पुरुषार्थयुक्त योग, साधनयुक्त उपासना और वैदिक कर्म परम्परा रूप से मुक्तिपद की प्राप्ति में सहायक होते हैं, जिस प्रकार धर्म, अर्थ और काम ये तीन परम्परा रूप […]
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वेदांग

वेदों में वर्णित अर्थ को बिना किसी सहायता के समझना अत्यंत कठिन कार्य है। जिस प्रकार साधारण व्याकरण एवं काव्य कोष आदि का पाठ करने से ही किसी भाषा के […]
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क्या हिन्दुओं को सांप्रदायिक कहना उचित है? क्या हिन्दू धर्म साम्प्रदायिकता को बढ़ावा देता है?

अत्यंत दुःख का विषय है की आजकल शास्त्र विहीन देश के नेता कहलाने वाले कुछ लोग केवल अपनी संकीर्ण मानसिकता और स्वार्थ सिद्धि के कारण हिन्दुओं पर सांप्रदायिक होने या […]
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हिन्दू अपने घर में प्रतिदिन दीप क्यों प्रज्वल्लित करते हैं ? हिन्दू धर्म में भगवान् की उपासना दीप प्रज्वल्लित करके ही क्यों की जाती है ?

समस्त सनातन धर्मियों के गृह में प्रातः और सांय काल में दीप प्रज्वल्लित करने की प्रथा है। किसी भी मांगलिक कार्य का शुभारम्भ भी द्वीप प्रज्वल्लित करके ही किया जाता […]
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हिन्दू सनातन धर्म में विवाह की क्या मान्यता है? विवाह से पूर्व कन्या पक्ष द्वारा वर का पूजन क्यों किया जाता है ?

हिन्दू सनातन धर्म में विवाह संस्कार सर्वोपरि महत्व का है। विवाह के उपरान्त ही ब्रह्मचर्य आश्रम की पूर्णता होती है तथा गृहस्थ आश्रम में प्रवेश होता है। मनुष्य की आयु […]
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हिन्दू सभ्यता में ‘अतिथि देवो भव:’ की संतुती क्यों की गयी है? अतिथि को देवतुल्य क्यों माना जाता है? अतिथि की क्या परिभाषा है ?

मनुस्मृति में कहा गया है : संपराप्ताय त्वतीथये प्र्द्द्यादासनोदके। अन्न चैव यथाशक्ति सत्कृत्य विधिपूर्वकम।। (आए हुए अतिथि का आसान, जल और अन्न से यथा शक्ति सत्कार करना चाहिए) श्री विष्णुपुराण […]
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