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ब्रह्मा जी द्वारा १० प्रकार की सृष्टि की रचना

श्री भगवान द्वारा सृष्टि के कार्य में नियुक्त ब्रह्माजी कमलकोष में प्रवेश किया और उसके ही भू:, भव:, और सव: तीन भाग किए । जीवों के भोगस्थान के रूप में […]
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ब्रह्मा जी की पूजा, व्रत, यज्ञ आदि क्यों नहीं होते ?

ब्रह्मा जी के सृष्टि की रचना के कृत्य में सबसे पहले, ब्रह्मा जी के मन से चार कुमार प्रकट हुए, जो पाँच वर्ष की अवस्था के जान पड़ते थे और […]
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बलिवैश्वदेव और पञ्चमहायज्ञ की क्या व्याख्या है? क्या हिन्दू यज्ञों में पशुओं की बलि देने का विधान है ? क्या यज्ञ और हवन केवल वायुशुद्धि के लिए किये जाते हैं?

हिन्दू धर्म में यज्ञ एवं नित्य कर्म में पशुओं “को” बलिभाग देने का विधान है, पशुओं “की” बलि देने का विधान नहीं है। “बलि‘ शब्द का अंग्रेजी अर्थ निकलता है […]
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हिन्दुओं द्वारा मूर्ति पूजा, ईश्वर की साकार रूप में उपासना सही है या गलत ? क्या हिंदु पत्थर या धातु की पूजा करते हैं ? क्या हिंदू बुतपरस्त हैं ?

हम इस विषय में हम अनेकों बार अपने विचार रख चुके हैं परन्तु हिंदु धर्म में साकार और निराकार उपासकों के पृथक पृथक विचारों के कारण यह प्रश्न हमेशा चर्चा […]
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क्या हिन्दू धर्म में भगवान प्राप्ति का उपाय केवल प्रतिमा पूजन है? समस्त प्राणियों में कौन श्रेष्ठ है? हिंदु प्रणाम क्यों करते हैं?

परमात्मा का वास्तविक स्वरूप एकरस, शांत, अभय एवं केवल ज्ञानस्वरूप है। वह सत् और असत् दोनो से परे है। समस्त कर्मों के फल भी भगवान ही देते हैं। क्योंकि मनुष्य […]
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श्रीमदभागवत गीता को सम्पूर्ण ग्रन्थ क्यों कहा जाता है ?

 गीता पूर्ण ज्ञानकी गङ्गा है, गीता अमृतरस की ओजस धारा है। गीता इस दुष्कर संसार सागर से पार उतरनेके लिये अमोघ तरणी है। गीता भावुक भक्तों के लिये गम्भीर तरङ्गमय […]
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चतु:श्लोकी भागवत

ब्रह्माजी जी भगवान नारायण की स्तुति के पश्च्यात उनसे उनके सगुण एवं निर्गुण रूपों तथा उनके मर्म को जानने का ज्ञान देने को कहा। श्री भगवान् ने भागवत – तत्त्व […]
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महाभारत को पांचवां वेद क्यों कहा जाता है ?

महाभारत को महाकाव्य या इतिहास ग्रन्थ भी कहा जाता है परन्तु वस्तुतः यह एक धर्मकोश है; जिनमे तत्कालीन सामाजिक राष्ट्रीय और अन्य पहलुओं पर प्रकाश डालनेवाले सभी विचारों का समावेश […]
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प्रत्येक वेद में कौन सा विशेष गुण है, जो एक को दूसरे से पृथक् करता है, और जिसके कारण वेदों का विशेष महत्व स्थापित हुआ है ?

वास्तव में चारों वेद मिलकर एक ही वेद राशि है। जिस प्रकार सिर, हाथ, पेट और पांव मिलकर शरीर बनता है; किन्तु आत्मा, बुद्धि, मन, प्राण और स्थूल शरीर मिलकर […]
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पुराण शास्त्र

दर्शन शास्त्र, स्मृति शास्त्र आदि की तरह पुराण शास्त्र भी उपयोगी शास्त्र हैं क्योंकि वेदों में जिन तत्वों का वर्णन कठिन और गूढ़ वैदिक भाषा द्वारा किया गया है, पुराण […]
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