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श्रीमदवाल्मीकि रामायण में शम्बूक वध प्रसंग तथा सनातन धर्म और प्रभु श्री राम की निंदा के लिए इसका राजनीतिकरण

श्रीमदवाल्मीकि रामायण के उत्तर कांड में वर्णित शम्बूक वध प्रसंग का सर्वाधिक राजनीतिकरण किया गया है। विभिन्न राजनेताओं और सम्प्रदायों ने समय समय पर हिन्दू धर्म को विभाजित करने तथा […]
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श्री राम यदि स्वयं श्री विष्णु भगवान के अवतार थे और आदि अनन्त सबके ज्ञाता थे तो उन्होंने लंका विजय के पश्चात सीता जी की अग्नि परीक्षा क्यों करवाई? प्रभु श्री राम को रावण का वध करने के लिए सीता का हरण करवाने की क्या आवश्यकता थी ?

यह विवादित प्रश्न सदैव अधर्मियों, विधर्मियों तथा कुधर्मियों द्वारा श्री राम की निंदा करने तथा हिन्दू धर्म पर आघात पहुँचने के लिए किया जाता है। ज्ञान के अभाव में उनको […]
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यदि श्री राम सेतु स्वयं भगवान राम ने बनवाया था और समुद्र देवता ने उसको बनवाने में सहयोग दिया था तो वह खंडित कैसे हो गया? Google map पर भी राम सेतु खंडित नज़र आता है। स्वयं सृष्टि के पालनहार द्वारा बनवाया हुआ पुल कैसे टूट सकता है?

सर्वप्रथम हमारे बंधु श्री अमरीश तिवारी जी का धन्यवाद जिन्होंने अति उत्तम, रोचक और ज्ञानवर्धक सवाल पूछा। इसका उत्तर तथा वर्णन पद्मपुराण में इस प्रकार मिलता है : धर्म के […]
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शिवालय रहस्य – शिव मंदिर में स्तिथ – नंदी जी , कूर्म, गणेश जी, हनुमान जी, बिल्व पत्र, जलधारा की महत्वता

भगवान् शिव के मंदिर भारतवर्ष के प्राय: प्रत्येक गाँव, शहर या ये कहें की प्रत्येक मार्ग पर पाए जातें हैं तो अतिशोय्क्ति नहीं होगी। प्रत्येक शिव मंदिर में नंदी, कूर्म, […]
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भगवान् शिव कौन हैं ?

शेते तिष्ठति सर्वं जगत यास्मिन स: शिव:शम्भु: विकाररहित:। जिसमे सारा संसार शयन करता है, जो विकार रहित हैं वह शिव हैं, जो अमङ्गल का ह्रास करते हैं, वे ही सुखमय […]
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॥ श्रीरुद्राष्टकम् ॥

नमामीशमीशान निर्वाणरूपं विभुं व्यापकं ब्रह्मवेदस्वरूपम् । निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं चिदाकाशमाकाशवासं भजेऽहम् ॥ १॥ हे मोक्षरूप, विभु, व्यापक, ब्रह्म, वेदस्वरूप, ईशानदिशा के ईश्वर और सबके स्वामी शिवजी, मैं आपको नमस्कार […]
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श्री शिव पञ्चाक्षरस्तोत्रम

ॐ नम: शिवाय नागेन्द्राहाय त्रिलोचनाय भस्माङ्गरागाय महेश्वराय। a नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय तस्मै ‘न’ काराय नम: शिवाय।१। जिसके कंठ में सर्पों का हार है, जिनके तीन नेत्र है, भस्म ही जिनका […]
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पार्वती जी का नाम उमा कैसे पड़ा? पूजा के समय फूलों के साथ अशोक वृक्ष की पत्तियों का उपयोग पूजा के लिए या बंधनहार के रूप में क्यों किया जाता है?

कश्यप ऋषि के कहने पर गिरिराज हिमालय ने ब्रह्मा जी की करोर तपस्या की। तपस्या से प्रसन्न हो कर ब्रह्मा जी ने गिरिराज हिमालय को दर्शन दे कर उनसे वर […]
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