संक्षित्प परिचय : श्री हिन्दू धर्म वैदिक एजुकेशन फाउंडेशन
श्री हिन्दू धर्म वैदिक एजुकेशन फॉउण्डेशन एक गैर वाणिजियक, धर्मार्थ संस्था है, जिसका गठन वर्त्तमान समय में सनातन धर्म में व्याप्त अज्ञानता और त्रुटियों को दूर कर धर्म के विस्तार और विकास के लिए किया गया है।
वर्त्तमान शिक्षा प्रणाली मे हिंदू धर्म शास्त्रों का कोई महत्त्व नहीं है, आजकल की शिक्षा केवल विद्यार्थियों को आधुनिक शिक्षा दे कर नौकरी और व्यापार के लिए तैयार करने तक ही सीमित है। परिणाम स्वरूप विद्यार्थियों द्वारा अपने आध्यात्मिक विकास का कोई प्रयत्न नही किया जाता और शिक्षा समाप्त करने के पश्च्यात अपने जीवन के संघर्षों में इतना समय नहीं मिलता की वेद, पुराण, गीता, अन्य धर्म शास्त्रों का अध्ययन कर सकें या किसी अन्य धार्मिक संस्था से जुड़ सकें। सनातन धर्मियों में अपने धर्म के आधारभूत ज्ञान के आभाव का लाभ अनेकों अधर्मी और विधर्मी उठा कर यह प्रमाणित करने का प्रयास किया जाता है की हिन्दू सनातन धर्म से निष्कृष्ट और कोई धर्म पृथ्वी पर विद्यमान नहीं है और ज्ञान के आभाव में सनातन धर्मी भी इसी विचारधारा से प्रभावित होकर उनका अनुसरण करते हैं।
वेद अध्यनन तो दूर की बात है यदि स्वयं सनातन धर्मियों को यह भी स्पष्ट नहीं है की हिन्दू धर्म में धर्म शस्त्रों में किन ग्रंथों को सम्मिलित किया जाता है और सनातन धर्म में कितने देवी देवता हैं तो आप समझ सकते हैं की स्थिति कितनी गंभीर और भयावह है। पुण्यभूमि भारत, जहाँ सम्पूर्ण विश्व में हिंदू जनसँख्या सर्वाधिक है, में भी जनसँख्या गणना के आकंड़े स्थिति की भयावता प्रमाणित करते हैं। १९५१ की जनसँख्या गणना के अनुसार भारतवर्ष में हिन्दुओं की संख्या ८४.१% थी जो की २००१ में केवल ८०.५ रह गयी और २०११ में और घट कर केवल ७९.८० रह गयी अर्थात वर्ष प्रति वर्ष भारतवर्ष में हिन्दू जनसँख्या घटती ही जा रही है। इसमें कोई संदेह नहीं है की सभी सनातन धर्मी इससे चिंतित हैं और चाहते भी हैं की धर्म का विकास तथा विस्तार हो परन्तु प्रश्न यह है की धर्म की रक्षा के लिए क्या उपाय किये जा रहे हैं? अपने धर्म की रक्षा के प्रति प्रत्येक सनातन धर्मी हिंदू का क्या व्यक्तिगत योगदान है ?
इन्ही सभी कारणों का विचार करते हुए, श्री हिन्दू धर्म वैदिक एजुकेशन फाउंडेशन का गठन किया तथा विभिन्न माध्यमों द्वारा हिन्दू धर्म में व्याप्त अज्ञानता दूर करने का सतत प्रयास किया जा रहा है। हमारी विचारधारा है की हिन्दू धर्म की आध्यात्मिक उन्नति तथा विकास समस्त विश्व में फैले जिससे सम्पूर्ण विश्व, वर्त्तमान समय में व्याप्त त्रिविध तापों से मुक्ति पाकर कल्याण की और अग्रसर हो सके।
धर्मो रक्षति रक्षितः ।
जो धर्म और धर्म पर चलने वालों की रक्षा करता है, धर्म भी उसकी रक्षा अपनी प्रकृति की शक्ति से करता है।