श्री दुर्गा सप्तशती के पाठ में अर्गला स्तोत्र के उपरान्त ‘कीलक”स्तोत्र का पाठ किया जाता है। कीलक स्त्रोत्र के विषय में अनेको भ्रांतियां समाज में उपस्थित हैं। प्राय: यह कह […]Read more
इस मन्त्र को नवार्ण मंत्र भी कहा जाता है जो देवी भक्तों में सबसे प्रशस्त मंत्र माना गया है। इस मन्त्र के जाप से महासरस्वती, महाकाली तथा महालक्ष्मी माता की […]Read more
जगन्मार्तातस्तव चरण सेवा न रचिता न वा दत्तं देवि द्रविणमपि भूयस्तव मया। तथापि त्वं स्नेहं मयि निरुपमं यत्प्रकुरुषे कुपुत्रो जायेत क्वचिदपि कुमाता न भवति॥ हे जगदम्बा माता ! मैंने आपके […]Read more
श्री कृष्ण कृत त्वमेव सर्वजननी मूलप्रकृतिरीश्वरी । त्वमेवाद्या सृष्टिविधौ स्वेच्छया त्रिगुणात्मिका ।। हे देवी ! आप ही सबकी जननी, मूल-प्रकृति ईश्वरी हो, आप ही सृष्टि की उत्पत्ति के समय आद्याशक्ति […]Read more
1. ज्ञानिनामपि चेतांसि देवि भगवती हि सा । बलादाकृष्य मोहाय महामाया प्रयच्छति ॥1॥ वे भगवती महामाया देवी ज्ञानियों के भी चित्त को बलपूर्वक खींचकर मोह में डाल देती हैं । […]Read more
सनातन धर्म में वर्ष में दो बार – शरत काल तथा वसंत काल के नवरात्रों में माता जगदम्बा की पूजा का विधान है। वसंत तथा शरत दोनों ही ऋतुएं मनुष्य […]Read more
महिषासुर तथा उसकी सेना के वध के पश्चात इंद्र आदि देवताओं ने भगवती दुर्गा का उत्तम वचनों द्वारा सत्वन किया जिससे प्रसन्न हो कर भगवती देवी ने समस्त देवताओं को […]Read more
पूर्वकाल में देवताओं तथा असुरों में पूरे सौ वर्षों तक बड़ा भयंकर युद्ध हुआ। उसमें असुरों का स्वामी महिषासुर तथा देवताओं के नायक इंद्र थे। उस युद्ध में देवताओं की […]Read more
वेद के कौथिमि शाखा में जो दुर्गा, नारायणी, ईशाना, विष्णुमाया, शिवा, सती, नित्या, सत्या, भगवती, सर्वाणी, सर्वमंगला, अम्बिका, वैष्णवी, गौरी, पार्वती और सनातनी- ये सोलह नाम बताए गए हैं वो […]Read more
भक्ति, प्रेम, रंग, हास्य, व्यंग, मनोविनोद तथा हर्षोउल्लास के पर्व होली की आपको व् आपके परिवार, मित्रों, एवं सुहृदयों को हर्दिक शुभकामनायें। फाल्गुन मास की पूर्णिमा में मनाये जाने वाले […]Read more