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Archive: February 2019

॥ श्रीरुद्राष्टकम् ॥

नमामीशमीशान निर्वाणरूपं विभुं व्यापकं ब्रह्मवेदस्वरूपम् । निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं चिदाकाशमाकाशवासं भजेऽहम् ॥ १॥ हे मोक्षरूप, विभु, व्यापक, ब्रह्म, वेदस्वरूप, ईशानदिशा के ईश्वर और सबके स्वामी शिवजी, मैं आपको नमस्कार […]
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श्री शिव पञ्चाक्षरस्तोत्रम

ॐ नम: शिवाय नागेन्द्राहाय त्रिलोचनाय भस्माङ्गरागाय महेश्वराय। a नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय तस्मै ‘न’ काराय नम: शिवाय।१। जिसके कंठ में सर्पों का हार है, जिनके तीन नेत्र है, भस्म ही जिनका […]
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पार्वती जी का नाम उमा कैसे पड़ा? पूजा के समय फूलों के साथ अशोक वृक्ष की पत्तियों का उपयोग पूजा के लिए या बंधनहार के रूप में क्यों किया जाता है?

कश्यप ऋषि के कहने पर गिरिराज हिमालय ने ब्रह्मा जी की करोर तपस्या की। तपस्या से प्रसन्न हो कर ब्रह्मा जी ने गिरिराज हिमालय को दर्शन दे कर उनसे वर […]
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भगवान शिवजी को ‘पशुपति’ और ‘त्रिपुरारि’ क्यों कहा जाता है?

जब शिवनंदन श्री कार्तिकेय स्वामी जिन्हें स्कन्द भी कहा जाता है ने तारकासुर का वध कर दिया तो उसके तीनों पुत्र तारकाक्ष, विद्युनमालि और कमलाकाक्ष ने उत्तम भोगों का परित्याग […]
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शिवलिंग क्या है? शिवजी की पूजा मूर्ति और लिंग रूप में क्यों होती है?

लिंग शब्द का अर्थ है चिन्ह, प्रतीक। भगवान शिव क्योंकि परमपिता परमात्मा के अंश है और स्वयं ब्रह्मस्वरूप हैं इसीलिए निष्काम (निराकार) कहे गए हैं। इसी प्रकार से रूपवान होने […]
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श्रीमदवाल्मीकि रामायण – ज्ञान माला – अरण्यकाण्ड

१. सुलभा पुरुषा राजन सततं प्रियवादिन:। अप्रियस्य च पथ्यसय वक्ता श्रोता च दुर्लभ: ।। सदा प्रिय वचन बोलने वाले पुरुष सर्वत्र सुलभ होते हैं, परन्तु जो अप्रिय होने पर भी […]
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श्रीमदभगवत महापुराण – वैवाहरिक ज्ञान माला

१ न तद्दानं प्रशसन्ति येन वृतिविृपद्यते। दानं यज्ञस्तप: कर्म कोले वृत्तिमतो यत:।। (८। १९। ३६ ) विद्वान पुरुष उस दान की प्रशंसा नहीं करते, जिसके बाद जीवन निर्वाह के लिए […]
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हमारे देश का नाम भारतवर्ष कैसे पड़ा?

पूर्व काल में भारत वर्ष को अभाजन खंड कहा जाता था । श्री भगवान के आठवें अवतार श्री ऋषभ देव के पुत्रों में महायोगी भरतजी सबसे बड़े तथा सबसे अधिक […]
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