नमामीशमीशान निर्वाणरूपं विभुं व्यापकं ब्रह्मवेदस्वरूपम् । निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं चिदाकाशमाकाशवासं भजेऽहम् ॥ १॥ हे मोक्षरूप, विभु, व्यापक, ब्रह्म, वेदस्वरूप, ईशानदिशा के ईश्वर और सबके स्वामी शिवजी, मैं आपको नमस्कार […]Read more
ॐ नम: शिवाय नागेन्द्राहाय त्रिलोचनाय भस्माङ्गरागाय महेश्वराय। a नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय तस्मै ‘न’ काराय नम: शिवाय।१। जिसके कंठ में सर्पों का हार है, जिनके तीन नेत्र है, भस्म ही जिनका […]Read more
कश्यप ऋषि के कहने पर गिरिराज हिमालय ने ब्रह्मा जी की करोर तपस्या की। तपस्या से प्रसन्न हो कर ब्रह्मा जी ने गिरिराज हिमालय को दर्शन दे कर उनसे वर […]Read more
जब शिवनंदन श्री कार्तिकेय स्वामी जिन्हें स्कन्द भी कहा जाता है ने तारकासुर का वध कर दिया तो उसके तीनों पुत्र तारकाक्ष, विद्युनमालि और कमलाकाक्ष ने उत्तम भोगों का परित्याग […]Read more
लिंग शब्द का अर्थ है चिन्ह, प्रतीक। भगवान शिव क्योंकि परमपिता परमात्मा के अंश है और स्वयं ब्रह्मस्वरूप हैं इसीलिए निष्काम (निराकार) कहे गए हैं। इसी प्रकार से रूपवान होने […]Read more