हमारे बंधु श्री राजे त्यागी जी ने एक सूक्ष्म एवं महत्वपूर्ण विषय उठाया। जिसके विषय में समाज में ज्ञान का सर्वथा अभाव है: हमें बताया जाता है की लोक तीन […]Read more
पृथ्वी आदि कार्यवर्ग का जो सूक्षतम अंश है जिसका और विभाग नहीं हो सकता तथा जो कार्यरूप को प्राप्त नहीं हुआ है उसे ‘परमाणु’ कहते हैं। दो परमाणु मिलने से […]Read more
लेख के प्रारम्भ में हम स्पष्ट करना चाहते है हैं कि लेख का उद्देश्य किसी व्यक्ति विशेष अथवा समुदाय की भावनाओं को आहत करना नाही है। ना ही हमारा उद्देश्य […]Read more
प्रणव का अभिप्राय उस ॐकार रुपी सेतु से है जो मनुष्य को भवसागर से पार करता है। प्र नाम है प्रकृति से उत्पन्न संसार रुपी महासागर का। प्रणव इसे पार […]Read more
जिन अव्यक्त, निर्गुण, निराकार श्री भगवान, जिनके सब ओर चरण, मस्तक और कंठ हैं, जो इस विश्व के स्वामी तथा विश्व को उत्पन्न करने वाले हैं, उन विश्वरूप परमात्मा का […]Read more