शुभ एवं मंगलदायक मकर संक्रांति की हार्दिक शुभकामनायें ।
आपको व आपके परिवार, सहृदयों व् मित्रों को मकर संक्रांति की हार्दिक शुभकामनायें । सूर्यदेव उत्तरायण में स्तिथ हो आपके तथा आपके परिवार को आरोग्यता, धन सम्पदा तथा ऐश्वर्य प्रदान करें।
उद्यन्नद्य मित्रमह आरोहन्नुत्तरां दिवम् ।
हृद्रोगं मम सूर्य हरिमाणं च नाशय ॥
हे मित्रो के मित्र सूर्यदेव! आप उदित होकर आकाश मे उठते हुए हमारे हृदयरोग, उदररोग, शरीर की कान्ति का हरण करने वाले रोगों को नष्ट करें।
उदगादयमादित्यो विश्वेन सहसा सह ।
द्विषन्तं मह्यं रन्धयन्मो अहं द्विषते रधम् ॥
हे सूर्यदेव अपने सम्पूर्ण तेजों से उदित होकर हमारे सभी रोगो को वशवर्ती करें। हम उन रोगो के वश मे कभी न आयें ।
ऋग्वेद – मंडल १, सूक्त ५०, ११, १३
संक्रांति शब्द सं+क्रांति से बना है। क्रांति का अर्थ है किसी परिवर्तन की अभिलाषा से हलचल का प्रादुर्भाव । क्रांति साथ “सं” का सयोंग सम्यक अर्थात समूह या समस्त का बोधक है। अत: संक्रांति का अर्थ हुआ क्रांति जो समस्त जन को प्रभावित करे।
वर्त्तमान समय में सनातन धर्म में भी संक्रांति की आवश्यकता है, जिससे सनातन धर्म की धारणा को समस्त जगत धारण करे। सनातन धर्म के मर्म को व्यापक जनसमूह तक पहुँचाने का कार्य केवल प्रत्येक सनातन धर्मी द्वारा संक्रांति द्वारा ही साध्य हो सकता है। संक्रांति ही समस्त जनों की मूलाधार है । यही सर्वभूत हितकारिणी है ।
इन्ही विचारों के साथ आपको व आपके परिवार, सहृदयों व् मित्रों को मकर संक्रांति की पुनः हार्दिक शुभकामनायें ।
।।ॐ नमो भगवते वासुदेवाय:।।
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